पृथ्वी की आंतरिक संरचना (Structure of Earth)

 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

पृथ्वी के आंतरिक संरचना की जानकारी को  निम्न के आधार पर प्राप्त होती है- 
  • भूगर्भिक ताप
  • ज्वालामुखी क्रिया
  • चट्टानों का घनत्व
  • भूकंपीय तरंग
  1. सर्वप्रथम पृथ्वी को गोलाकारअरस्तु ने कहा  |
  2.  कॉपरनिकस ने 1543 ईस्वी में बताया कि पृथ्वी नहीं अपितु सूर्य ही ब्रह्मांड के केंद्र में है इसलिए पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है |
  3. पूरे पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है।दबाव बढ़ने के साथ घनत्व बढ़ता है। पृथ्वी में प्रत्येक 32 मीटर की गहराई पर एक डिग्री तापमान के वृद्धि होती है |


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पृथ्वी की पृथ्वी की परतें( Layer Of Earth)-


रासायनिक संगठन के आधार पर पृथ्वी की तीन मुख्य पड़ते हैं-

(a)  सियाल (SiAl)- यह पृथ्वी के ऊपरी परत है जिसमें सिलिका (Si) एवं एलुमिना (Al) पाया जाता है। इस परत में ग्रेनाइट की अधिकता है और इस परत की चट्टानें अम्लीय होती हैं। 

(b) सीमा (SiMa) -यह पृथ्वी की दूसरी परत है जिसमें सिलिकॉन (Si) एवं मैग्नीशियम (Mg) की अधिकता है यहां अल्कलाइन चट्टानों की अधिकता है जिसमें बेसाल्ट एवं ग्रेबो प्रमुख है।

(c) निफे (NiFe) -यह पृथ्वी के तीसरे परत वह पृथ्वी का केंद्रीय भाग है जिसमें निकेल (Ni) एवं  फेरस (Fe) पाया जाता है।


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अभिनव मत (Modern Concept)-

भूकंपीय लहरों के व्यवहार के आधार पर पृथ्वी को तीन  भागों में बांटा जाता है


भू -पटल (Crust)

  •  यह पृथ्वी का बाहरी भाग है जिनकी औसत मोटाई महासागरों के नीचे 5 किलोमीटर तथा महाद्वीपों के नीचे 30 किलोमीटर है।
  • महाद्वीपीय भूपटल नीस एवं ग्रेनाइट का बना है जबकि महासागरीय भूपटल बेसाल्ट चट्टानों का बना है ।
  • भूकंपीय लहरों की गति के आधार पर क्रस्ट को दो उपभागो ऊपरी क्रस्ट तथा निचली क्रस्ट में विभाजित करते हैं ।
  • ऊपरी तथा निकली क्रस्ट के मध्य कोनार्ड असंबंद्धता पायी जाती है ।
  • क्रस्ट व मेंटल का संपर्क मंडल मोहोरोविकिक कहलाता है ।

मेंटल  (Mantle)

  • भूपृष्ठ के क्रस्ट  और कोर के बीच का स्थल मैटर कहलाता है।
  • इसकी गहराई 200 से 2900 किलोमीटर के बीच है।
  • यहां पृथ्वी के कुल आयतन का 83% तथा द्रव्यमान का 68% निहित है।
  • मेंटल को दो भागों में विभाजित किया जाता है  (i) निकला मेंटल (ii) ऊपरी मेंटल या दुर्बलता मेंटल    
  • दुर्बल मेंटल का निचला भाग ठोस है लेकिन ऊपरी भाग प्लास्टिक है और आशिक गलन अवस्था में है। भूकंपीय लहरों का वेग इस मंडल में काम हो जाता है इसलिए इसे न्यूनतम वेज मंडल कहते हैं।
  • ऊपरी और निचले मेंटल के बीच  रेपेटी असंबद्धता पाई जाती है।

कोर (Core)

  • पृथ्वी का केंद्रीय भाग (कोर) 2900 किलोमीटर से 6371 किलोमीटर तक पाया जाता है।
  • इसमें सघन लोहा- निकेल  मिश्रण नीचे होता है जिसका तापमान 2700 डिग्री सेल्सियस के लगभग है ।
  • मेंटल एवं कोर सीमा को गुटेनबर्ग  असंबद्धता कहते हैं।इससे लेकर पृथ्वी केंद्र तक को दो उपभाग में बांटा जाता है-बाहरी कोर तथा आंतरिक कोर।
  • बाहरी कोर तथा आंतरिक कोर के बीच  में पाए जाने वाली असंबद्धता को लेहमेन असंबद्धता कहते हैं।


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