Constitutional Development Of India in hindi |भारत का संवैधानिक विकास
Constitutional Development Of India in hindi. भारत में संवैधानिक विकास की शुरुआत ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 ई0 से मानी जा सकती है। 1757 की पलासी की लड़ाई के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बन गई। 1764 के बक्सर के युद्ध तथा 1765 की इलाहाबाद की संधि से तो कंपनी बंगाल, बिहार, और उड़ीसा के सर्वश्रय हो गई और उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने व्यापारिक मामलों के साथ-साथ राजनीतिक मामलों में भी हस्तक्षेप करना प्रारंभ कर दिया। ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाए गए प्रमुख नियमों का विवरण निम्नलिखित है-
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट
कोलकाता प्रेसीडेंसी के प्रमुख को गवर्नर के स्थान पर गवर्नर-जनरल कहां जाने लगा। बंगाल प्रेसीडेंसी का पहला गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग थ।
इस एक्ट के अनुसार 1774 में कोलकाता में ४ सदस्य सर्वोच्च न्यायालय गठित किया गया।
1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
इस अधिनियम द्वारा 6 सदस्यों के एक नियंत्रक मंडल (बोर्ड ऑफ कंट्रोल की स्थापना) की गई, जिसकी नियुक्ति ब्रिटिश सम्राट द्वारा की जाती थी।
1793 का चार्टर एक्ट
इस एक्ट के द्वारा कंपनी के व्यापारिक अधिकारों को 20 वर्ष हेतु बढ़ा दिया गया।
1813 का चार्टर एक्ट
इस एक्ट के अंतर्गत कंपनी के भारतीय व्यापार के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया लेकिन चीन से व्यापार और चाय के व्यापार का एकाधिकार बना रहा। इस एक्ट के तहत ₹100000 प्रति वर्ष विद्वान भारतीयों के प्रोत्साहन तथा साहित्य के सुधार तथा पुनर्स्थापना के हेतु रखा गया।
1833 का चार्टर एक्ट
इस एक्ट से कंपनी के व्यापारिक एकाधिकार को पूर्णता समाप्त कर दिया गया।
बंगाल का गवर्नर अब भारत का गवर्नर-जनरल बना दिया गया। लॉर्ड विलियम बैंटिक भारत के पहले गवर्नर जनरल बने।
1853 का चार्टर एक्ट
इसमें प्रथम बार भारतीय केंद्रीय विधान परिषद में स्थानीय प्रतिनिधित्व को प्रारंभ किया गया। इस अधिनियम के द्वारा कंपनी के महत्वपूर्ण पदों को प्रतियोगी परीक्षाओं के आधार पर भरे जाने की व्यवस्था की गई।
भारतीय शासन अधिनियम 1858
इस अधिनियम द्वारा भारत के शासन को कंपनी के हाथों से निकलकर ब्रिटिश क्राउन के हाथों में सौंप दिया गया। भारत के गवर्नर जनरल को अब वायसराय की उपाधि मिली जो क्राउन का सीधा प्रतिनिधि था। लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय बने।
भारतीय परिषद अधिनियम 1909 (मार्ले-मिंटो रिफार्म)
मार्ले भारत का सचिव तथा मिंटो वायसराय थे। इस अधिनियम में पहली बार मुस्लिम समुदाय के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की सुविधा दी गई।
भारतीय परिषद अधिनियम 1919 (मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार)
मांटेग्यू भारत सचिव तथा ट्रांसपोर्ट वायसराय थे। इस अधिनियम के तहत केंद्र में द्विसदनीय व्यवस्था स्थापित की गई। प्रांतीय द्वैधशासन की शुरुआत इस एक्ट द्वारा की गई। इस अधिनियम के तहत भारत में प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली तथा पहली बार भारतीय महिलाओं को मताधिकार का अधिकार प्रदान किया गया।
भारत शासन अधिनियम 1935
प्रांतो में द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त कर प्रांतो में पूर्ण उत्तरदाई सरकार बनाई गई। इस प्रांतीय स्वायत्तता कहा जाता है। द्वैध शासन की व्यवस्था अब केंद्र में लागू की गई। इस अधिनियम के अंतर्गत वर्ष 1935 में वर्मा को भारत से अलग कर दिया गया और उड़ीसा एवं सिंध दो नए प्रांत बनाए गए।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
इस अधिनियम में दो डोमिनियन भारत और पाकिस्तान की स्थापना के लिए 15 अगस्त 1947 की तारीख निर्धारित की गई।