Establishment of Indian National Congress in hindi |भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को बॉम्बे (अब मुंबई) में की गई थी।
- इसके प्रमुख संस्थापक एलन ऑक्टेवियन ह्यूम, दादाभाई नौरोजी और दिनशा वाचा थे।
- एलन ऑक्टेवियन ह्यूम, एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश सिविल सेवक, ने भारतीय नेताओं को एक मंच पर लाने के लिए पहल की। उनकी योजना थी कि भारतीय नेताओं को एक ऐसे मंच पर एकत्र किया जाए जहाँ वे अपने मुद्दों को शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से उठा सकें।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन 28 दिसंबर 1885 को बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन में 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- इसके प्रथम अध्यक्ष वुमेश चंद्र बनर्जी थे।
- इस अधिवेशन में भारतीय जनता की समस्याओं और उनके समाधान पर विचार-विमर्श किया गया।
उदारवादी चरण और प्रारंभिक कांग्रेस 1858 से 1905 ई0 तक
प्रारंभिक नेता और उनके योगदान
- दादाभाई नौरोजी: उन्हें 'भारत का वयोवृद्ध पुरुष' कहा जाता है। उन्होंने ब्रिटिश संसद में भारतीय मुद्दों को उठाया और 'ड्रेन थ्योरी' प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने दिखाया कि कैसे ब्रिटिश शासन भारतीय संसाधनों का शोषण कर रहा है।
- फिरोजशाह मेहता: उन्होंने प्रशासनिक सुधारों और भारतीयों की भागीदारी बढ़ाने के लिए संघर्ष किया।
- गोपाल कृष्ण गोखल: उन्होंने शिक्षा और सामाजिक सुधारों पर जोर दिया और ब्रिटिश शासन के तहत संवैधानिक तरीकों से सुधार की मांग की।
वर्ष | स्थान | अध्यक्ष | परिणाम/विशेष टिप्पणी |
---|---|---|---|
1885 | बॉम्बे (मुंबई) | वुमेश चंद्र बनर्जी | कांग्रेस की स्थापना, भारतीय नेताओं का पहला संगठित मंच |
1886 | कलकत्ता (कोलकाता) | दादाभाई नौरोजी | राष्ट्रीय एकता की भावना का विस्तार |
1887 | मद्रास (चेन्नई) | बदरुद्दीन तैयबजी | भारतीय राष्ट्रीयता का विस्तार |
1888 | इलाहाबाद | जॉर्ज यूल | एक अंग्रेज अध्यक्ष, ब्रिटिश जनता को भारतीय मुद्दों से अवगत कराना |
1890 | कलकत्ता (कोलकाता) | फ़िरोज़शाह मेहता | भारतीय प्रशासनिक सुधारों पर जोर |
1895 | पूना (पुणे) | सुरेंद्रनाथ बनर्जी | भारतीय राजनीतिक अधिकारों की मांग तेज |
1905 | बनारस (वाराणसी) | गोपाल कृष्ण गोखले | बंगाल विभाजन के खिलाफ विरोध, स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत |
1906 | कलकत्ता (कोलकाता) | दादाभाई नौरोजी | स्वराज की मांग का पहला औपचारिक प्रस्ताव |
1907 | सूरत | रास बिहारी बोस | गरमदल और नरमदल के बीच विभाजन |
1916 | लखनऊ | ए. सी. मजूमदार | लखनऊ समझौता, हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक |
1917 | कलकत्ता (कोलकाता) | एनी बेसेंट | पहली महिला अध्यक्ष, होमरूल आंदोलन का समर्थन |
1919 | अमृतसर | मोतीलाल नेहरू | जालियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ आक्रोश |
1920 | नागपुर | विजय राघवाचार्य | असहयोग आंदोलन की शुरुआत |
1923 | काकीनाडा | मोहम्मद अली जिन्ना | महात्मा गांधी की गैर-भागीदारी के बाद भी कांग्रेस को एकजुट रखना |
1923 (विशेष) | दिल्ली | अबुल कलाम आजाद | स्वराज विधेयक का समर्थन, कांग्रेस के सबसे युवा अध्यक्ष |
1924 | बेलगाम | महात्मा गांधी | गांधीजी का एकमात्र अध्यक्षीय कार्यकाल |
1925 | कानपुर | सरोजिनी नायडू | कांग्रेस की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष |
1929 | लाहौर | जवाहरलाल नेहरू | पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव, 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस घोषित |
1931 | कराची | वल्लभभाई पटेल | कराची प्रस्ताव, मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रम का प्रस्ताव |
1936 | लखनऊ | जवाहरलाल नेहरू | ग्रामीण भारत की समस्याओं पर ध्यान, कांग्रेस की नई दिशा पर चर्चा |
1937 | कलकत्ता (कोलकाता) | सुभाष चंद्र बोस | कांग्रेस के चुनावी जीत की सफलता, विभिन्न प्रांतों में कांग्रेस सरकारों की स्थापना |
1937 (फैजपुर) | फैजपुर | जवाहरलाल नेहरू | किसानों के अधिकारों और ग्रामीण विकास पर जोर, पहली बार कांग्रेस का अधिवेशन गांव में आयोजित |
1938 | हरिपुरा | सुभाष चंद्र बोस | राष्ट्रीय योजना समिति की स्थापना |
1939 | त्रिपुरी | सुभाष चंद्र बोस (लेकिन बाद में इस्तीफा दे दिया) | गरमदल और नरमदल के बीच विवाद |
1946 | मेरठ | जे. बी. कृपलानी | संविधान सभा के गठन की तैयारी |
1948 | जयपुर | पट्टाभि सीतारमैया | स्वतंत्रता के बाद का पहला अधिवेशन |
निष्कर्ष
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। इस संगठन ने भारतीयों को एकजुट करने और उनके अधिकारों के लिए लड़ने का मंच प्रदान किया। यद्यपि प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस का दृष्टिकोण नरमपंथी था, लेकिन इसने भारतीय जनता में राष्ट्रीय चेतना और स्वतंत्रता की भावना को प्रबल किया। कांग्रेस की स्थापना ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को संगठित और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे एक स्थायी राजनीतिक मंच प्रदान किया।