Social Religious Reform Movement in hindi |सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन
Social Religious Reform Movement in hindi. सामाजिक धार्मिक सुधार आंदोलन भारत में 19वीं और 20वीं शताब्दी में शुरू हुआ, जिसमें राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, और ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे प्रमुख सुधारकों ने समाज में सामाजिक और धार्मिक सुधार लाने का प्रयास किया।
ब्रह्म समाज की स्थापना
1829 ईस्वी में राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की। इनके बाद देवेंद्र नाथ टैगोर ने ब्रह्म समाज पुनर्गठित किया। टैगोर ने विधवा विवाह, बहू पत्नी प्रथा के समाप्ति, स्त्री शिक्षा एवं अन्य अधिकार व स्थिति में सुधार संबंधी आंदोलन को पुनः संचालित किया।
प्रार्थना समाज
सन 1867 ईस्वी में मुंबई में केशव चंद्रसेन तथा डॉ आत्माराम पांडुरंग ने प्रार्थना समाज स्थापित किया। इसका उद्देश्य एक ईश्वर की आराधना तथा समाज सुधार था। महादेव गोविंद रानाडे इसी से संबंधित है।
आर्य समाज
स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 ईस्वी में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। इसका उद्देश्य भारत को धार्मिक सामाजिक तथा राष्ट्रीय रूप से एकीकृत करना था। उन्होंने सत्यार्थ प्रकाश नामक पुस्तक की रचना की।
रामकृष्ण मिशन
सन 1897 ईस्वी में स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इसका उद्देश्य मानव कल्याण तथा सामाजिक कार्यों को पूरा करना था। भगिनी निवेदिता इससे संबंधित है।
थियोसोफिकल सोसायटी
1875 ईस्वी में अमेरिका में श्रीमती ब्लावातस्की तथा करनाल अल्काट ने इसकी स्थापना की। 1882 ईस्वी में इसका मुख्यालय मद्रास के निकट अड्यार हो गया।
यंग-बंग आंदोलन
हेनरी विवियन डेरोजियो ने यंग-बंग या यंग बंगाल नाम से बंगाल में इस आंदोलन का प्रवर्तन किया।
अलीगढ़ आंदोलन
सन 1863 ईस्वी में कोलकाता में लिटरेरी सोसायटी की स्थापना के साथ मुस्लिम धर्म सुधार का प्रयास आरंभ हुआ। सर सैयद अहमद खान ने अपनी पत्रिका तहजीब-उल-अखलाक अखलाक के माध्यम से मुसलमानो में पाश्चात्य शिक्षा के उत्थान द्वारा सामाजिक व धार्मिक सुधार किए गए। अलीगढ़ में सर सैयद अहमद खान ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की।
झझवा आंदोलन
केरल में नारायण गुरु में झझवा (अस्पृश्य) जाति के सामाजिक उत्थान के लिए यह आंदोलन किया ।
विधवा पुनर्विवाह आंदोलन
विधवा पुनर्विवाह आंदोलन का नेतृत्व ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने किया था। इस आंदोलन का उद्देश्य विधवाओं के पुनर्विवाह को सामाजिक और कानूनी मान्यता दिलाना था, ताकि विधवाओं को समाज में सम्मान और पुनः एक नई जिंदगी जीने का अवसर मिल सके।
सत्यशोधक समाज
सत्यशोधक समाज की स्थापना 1873 में ज्योतिबा फुले द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य जातिगत भेदभाव, अंधविश्वास और समाज में व्याप्त अन्य सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना था। सत्यशोधक समाज ने शोषित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए शिक्षा और सामाजिक जागरूकता पर जोर दिया।
अहमदिया आंदोलन- मिर्जापुर गुलाम अहमद
देवबंद आंदोलन- हुसैन मोहम्मद मौलाना अबुल कलाम आजाद इसे जुड़े थे ।