Establishment of British Rule in hindi| ब्रिटिश राज की स्थापना
ब्रिटिश राज की स्थापना ने भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास को बदल दिया। 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के साथ भारत में ब्रिटिश उपस्थिति की शुरुआत हुई। 1757 की प्लासी की लड़ाई और 1764 की बक्सर की लड़ाई ने ब्रिटिशों को बंगाल और अन्य क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने में मदद की। 19वीं शताब्दी में सहायक संधि प्रणाली और व्यपगत के सिद्धांत के माध्यम से कई भारतीय राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। 1857 का सिपाही विद्रोह ब्रिटिश शासन के खिलाफ महत्वपूर्ण विरोध था, जिसके बाद भारत में प्रत्यक्ष ब्रिटिश शासन स्थापित हुआ। Establishment of British Rule in hindi
मुगल साम्राज्य का पतन
औरंगजेब के बाद मुगल शासक कमजोर और अयोग्य साबित हुए इनमें से कई शासको में प्रशासनिक क्षमता की कमी थी और वह साम्राज्य को एकजुट रखने में असफल रहे-
बहादुर शाह -I
- बहादुर शाह प्रथम, जिनका असली नाम मुअज्ज़म था, मुगल साम्राज्य के सातवें सम्राट थे।
- बहादुर शाह अपने भाई आलम शाह एवं कमबख्त जाजऊ के युद्ध में हराकर सम्राट बना था
- बहादुर शाह ने अपने पिता औरंगजेब की कठोर धार्मिक नीति में बदलाव किया उन्होंने हिंदुओं सिखों के प्रति सहानुभूति दिखाई और धार्मिक भेदभाव को कम करने की कोशिश की। जजिया कर को समाप्त कर दिया जिस हिंदू प्रजा में उनके प्रति सकारात्मक भावना उत्पन्न हुई।
- बहादुर शाह को शाह -बे- खबर के उपनाम से पुकारा जाता है।
जहाँदार शाह
- जहाँदार शाह अपने भाई अजीमुल शाह को मारकर सिंहासन पर बैठा था जिसमें उसका सहयोग जुल्फिकार खान ने किया।
- जहाँदार शाह अपने शासन में लाल कुमारी नाम की वेश्या को हस्तक्षेप करने का आदेश दे रखा था ।
- जहांडर शाह को लंपट मूर्ख भी कहा जाता था।
फारूकसियार
- फारुखसियार सैयद बंधु हुसैन अली खान एवं अब्दुल्ला खान के सहयोग से शासक बना।
- मुगलकालीन इतिहास में सैयद बंधु -हुसैन अली खान एवं अब्दुल्ला खान को शासक निर्माता के रूप में जाना जाता है।
- फारुखसियार को मुगल वंश का घृणित कायर कहा गया है।
- 1715 ईस्वी में बंदा बहादुर को गुरदासपुर फोर्ट में कैद करके मार दिया जाता है।
- 1715 में अंग्रेजों के राजदूत जॉन सरमन एवं डॉ विलियम हैमिल्टन दरबार आते हैं फारूकसियार उनसे खुश होकर हैमिल्टन को शाही फरमान जारी करता है जिससे अंग्रेजों को कर-मुक्त व्यापार हैदराबाद, अहमदाबाद, बंगाल के लिए मिल जाता है इसे मेगनाकार्टाऑफ़ ब्रिटिश ट्रेड कहा गया।
मुहम्मद शाह
- सैयद बन्धु की मदद से मुहम्मद शाह राजगद्दी पर बैठता है और शासक बनता है।
- सुंदर युवतियों के प्रति अत्यधिक रुझान के कारण मुहम्मद शाह को रंगीला बादशाह कहा जाता है।
- मुहम्मद शाह रंगीला की बेगम रहमत-उल-निशा का प्रशासनिक कार्यों में अत्यधिक हस्तक्षेप था।
- तुरानी सैनिक हैदर बेग ने 9 अक्टूबर 1720 को सैयद बंधु हुसैन अली खान की हत्या कर दी।
- ईरान (फारस) के सम्राट नादिरशाह ने 1739 ईस्वी में दिल्ली पर आक्रमण किया इस समय दिल्ली का शासक मोहम्मद शाह था। नादिरशाह को ईरान का नेपोलियन कहा जाता है। नादिरशाह लगभग 70 करोड रुपए की धनराशि और शाहजहां का बनाया हुआ तख्ते ताउस तथा कोहिनूर हीरा लेकर फारस वापस लौटा। तख्ते ताउस (मयूर सिंहासन) पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक मोहम्मद शाह था।
अहमद शाह
आलमगीर-II
शाह आलम-II
- शाह आलम- II जिनका असली नाम अली गौहर
- शाह आलम-II के शासनकाल में 1803 ईस्वी में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
- गुलाम कदीर खान में 1806 ई0 को हत्या करवा दी।
अकबर -II
बहादुर शाह (II) जफर
- बहादुर शाह II जफर अंतिम मुगल सम्राट था।
- 1857 ई की क्रांति में भाग लेने के कारण अंग्रेजों द्वारा बहादुर शाह जफर को बंदी बना लिया गया एवं रंगून भेज दिया। .
बंगाल
- औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुर्शीद कुली खान के नेतृत्व में बंगाल पूरी तरह स्वतंत्र हो गया। 1704 ईस्वी में बंगाल की राजधानी ढाका से हटकर मुर्शिदाबाद बनाई गई।
- 1726 ई0 में मुर्शीद कुली खान की मृत्यु के बाद सुज्जाउदुल्ला बंगाल का नवाब बना।
- सिराजुद्दौला 10 अप्रैल 1756 को बंगाल का नवाब बना।
- प्लासी के युद्ध 1757 ई0 में अंग्रेजों (रॉबर्ट क्लाइव )और सिराजुद्दौला की सेना के बीच संघर्ष हुआ जिसमें सिराजुद्दौला पराजित हुआ और मारा गया।
- 22 अक्टूबर 1764 को बक्सर के युद्ध में मुगल सम्राट शाह आलम II, अवध का नवाब सुज्जाउदुल्ला एवं बंगाल के नवाब मीर कासिम ने अंग्रेजों के विरुद्ध गठबंधन किया लेकिन वह पराजित हो गए।
- इस युद्ध के पश्चात इलाहाबाद की संधि 1765 ई0 में हुई जिसके अंतर्गत मुगल सम्राट शाह आलम II ने बंगाल, बिहार, उड़ीसा के दीवानी अधिकार कंपनी को दे दिए।
मैसूर
- हैदर अली के नेतृत्व में मैसूर एक शक्तिशाली राज्य बनकर उभरा। हैदर अली ने अपनी सेवा का गठन पाश्चात्य शैली में किया अंग्रेजो को प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध 1769 ईस्वी में पराजित किया।
- द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (7080 से 7084 ईस्वी) में हैदर अली की मृत्यु के बाद उनके पुत्र टीपू सुल्तान ने उसका स्थान लिया। टीपू सुल्तान फ्रांस के जैकोबिन क्लब का सदस्य बना एवं उसने स्वतंत्रता का वृक्ष लगाए।
- फ्रांसीसी पद्धति पर टीपू ने एक मजबूत सेना बनाई।
- तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (१७९०- १७९२ईस्वी) में अंग्रेज (लॉर्ड कॉर्नवालिस) निजाम और मराठों ने मिलकर टीपू को हराया और उसे श्रीरंगपत्तिनम की संधि 1792 करनी पड़ी।
- चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध 1799 ईस्वी में लॉर्ड वेलेजली ने टीपू की मृत्यु के बाद मैसूर राज्य पर कब्जा किया।
मराठा
- मराठा साम्राज्य का संस्थापक शिवाजी थे।
- शिवाजी का उत्तराधिकारी संभाजी थ। मार्च 1689 ई0 को मुगल सेनापति मखरब खान ने संगमेश्वर में छिपे हुए संभाजी एवं कवि कलश को गिरफ्तार कर दिया और उनकी हत्या कर दी।
- संभाजी के बाद राजाराम को नए छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक किया गया। राजाराम मुगलो से संघर्ष करता हुआ 1780 में मर गया।
- राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी ताराबाई अपने 4 वर्ष से पुत्र शिवाजी-II का राज्याभिषेक कराकर मराठा साम्राज्य की वास्तविक संरक्षिका बन गयी। 1707 में औरंगजेब की मृत्यु के बाद संभाजी के पुत्र साहूजी औरंगजेब के कब्जे में था, वापस महाराष्ट्र आया। साहू एवं ताराबाई के बीच 1707 ईस्वी में खेड़ा का युद्ध हुआ जिसमें साहू विजय हुआ। साहू के नेतृत्व में नवीन मराठा साम्राज्यवाद के प्रवर्तक पेशवा लोग थे, जो साहू के पैतृक प्रधानमंत्री थे। पेशवा पद पहले पेशवा के साथ ही वंशानुगत हो गया था।
- 1713 ईस्वी में साहू ने बालाजी विश्वनाथ को पेशवा बनाया। उनकी मृत्यु 1720 ईस्वी में हुई उसके बाद पेशवा बाजीराव-I हुए।
- पेशवा बाजीराव प्रथम ने मुगल साम्राज्य की कमजोर हो रही स्थिति का फायदा उठाने के लिए साहू को उत्साहित किया।
- पालखेड़ा का युद्ध 7 मार्च 1728 ई0 बाजीराव प्रथम एवं निजाम-उल-मुल्क के बीच हुआ जिसमें निजाम की हार हुई। निजाम के साथ मुंशी शिवगांव की संधि हुई।
- दिल्ली पर आक्रमण करने वाला प्रथम पेशवा बाजीराव-I था जिसने 29 मार्च 1737 ई0 को दिल्ली पर दवा बोला था। उसे समय मुगल बादशाह मोहम्मद शाह दिल्ली छोड़ने के लिए तैयार हो गया।
- बाजीराव प्रथम मस्तानी नामक महिला से संबंध होने के कारण प्रचलित रहा था।
- 1740 ई0 में बाजीराव प्रथम की मृत्यु हो गई, बाजीराव प्रथम की मृत्यु के बाद बालाजी राव 1740 में पेशवा बना।
- 1750 में सांगोला संधि के बाद पेशवा के हाथ से सारे अधिकार सुरक्षित हो गए।
- बालाजी बाजीराव को नाना साहेब के नाम से भी जाना जाता था। झलकी की संधि हैदराबाद के निजाम एवं बालाजी बाजीराव के मध्य हुई बालाजी बाजीराव के समय में ही पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जून 1761 हुआ जिसमें मराठो की हार हुई। इस हार को नहीं सह पाने के कारण बालाजी की मृत्यु 1761 में हो गई।
- माधवराव नारायण-I 1761 ईस्वी में पेशवा बना। जिसने मराठो की खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करने का प्रयास किया माधवराव ने ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर चल रहे मुगल बादशाह शाह आलम-II को पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठाया। मुगल बादशाह अब मराठो का पेंशन भोगी बन गया।
- पेशवा नारायण राव की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव के द्वारा कर दी गई।
- पेशवा माधव राव नारायण-II के अल्पायु के कारण मराठा राज्य के देखरेख वराहभाई सभा नाम की 12 सदस्यों की एक परिषद करती थी। इस परिषद के दो महत्वपूर्ण सदस्य थे -महादजी सिंधिया एवं नाना फडणवी।
- अंतिम पेशवा राघोवा का पुत्र बाजीराव-II था, जो अंग्रेजों की सहायता से पेशवा बना था मराठो के पतन में सर्वाधिक योगदान इसी का था। यह सहायक संधि स्वीकार करने वाला प्रथम मराठा सरदार था।
- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध 1775 से 1782 ई0 तक चला इसके बाद 1776 में पुलंदर की संधि हुयी, इसके तहत कंपनी ने रघुनाथ राव के समर्थन को वापस किया।
- द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध 1803 से 1805 ई0 में हुआ जिसमें भोंसले (नागपुर) ने अंग्रेजों को चुनौती दी, इसके फलस्वरुप 7 सितंबर 1803 ई0 को देवगांव की संधि हुई।
- तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध 1816 से 1818 ई0 में हुआ इस युद्ध के बाद मराठा शक्ति और पेशवा के वंशानुगत पद को समाप्त कर दिया गया। पेशवा बाजीराव-II में कोरेगाँव एवं अष्ठी के युद्ध में हारने के बाद फरवरी 1818 ईस्वी में मेल्कम के सम्मुख आत्मसमर्पण कर लिया। अंग्रेजों ने पेशवा के पद को समाप्त कर बाजीराव-II को कानपुर के निकट विट्ठल में पेंशन पर जीने के लिए भेज दिया। जहां 1853 इसी में इसकी मृत्यु हो गई।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा रियासतों और राज्यों अपने अधीन करने के लिए विभिन्न नीतिया -
सहायक संधि प्रणाली (Subsidiary Alliance)
- लॉर्ड वेलेजली की नीति: सहायक संधि प्रणाली के तहत, भारतीय शासकों को ब्रिटिश सेना की उपस्थिति को स्वीकार करना पड़ा और इसके बदले में उन्होंने अपनी सुरक्षा का वादा किया। इसके तहत, शासकों को अपनी सेना को भंग करना पड़ा और ब्रिटिश सेना के खर्चे को वहन करना पड़ा।
- प्रमुख संधियाँ: हैदराबाद (1798), मैसूर (1799), अवध (1801), और कई अन्य राज्यों ने इस संधि को स्वीकार किया।
व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse)
- लॉर्ड डलहौजी की नीति: इस नीति के तहत, यदि किसी भारतीय रियासत का शासक बिना पुरुष उत्तराधिकारी के मर जाता, तो उसकी रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया जाता।
- प्रमुख राज्य: सतारा (1848), संभलपुर (1849), उदयपुर (1852), नागपुर (1853), झाँसी (1854) और अवध (1856) को इस नीति के तहत अंग्रेजों ने अपने अधीन कर लिया।
निष्कर्ष
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने विभिन्न नीतियों, सैन्य अभियानों और राजनीतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों को अपने अधीन कर लिया। इन नीतियों और अभियानों ने भारतीय रियासतों को कमजोर किया और अंततः उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बना दिया। इन घटनाओं ने भारतीय समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला और देश की स्वतंत्रता की दिशा में आंदोलन को प्रेरित किया।
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