भारतीय अर्थव्यवस्था में पंचवर्षीय योजना (Five Year Plan), योजना आयोग (Planning Commission) और नीति आयोग (NITI Aayog)

भारतीय अर्थव्यवस्था में पंचवर्षीय योजनाएँ 

भारतीय अर्थव्यवस्था में पंचवर्षीय योजनाएँ एक प्रमुख योजना तंत्र रही हैं, जो देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती थीं। इन योजनाओं का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में संतुलित और समग्र विकास सुनिश्चित करना था। आइए, प्रत्येक पंचवर्षीय योजना को विस्तार से समझते हैं:

भारतीय अर्थव्यवस्था में पंचवर्षीय योजना (Five Year Plan)


1. प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-1956):

  • मुख्य फोकस: कृषि और सिंचाई।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर जोर दिया गया।
    • बड़े सिंचाई परियोजनाओं (जैसे भाखड़ा नांगल बांध) और कृषि के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराए गए।
    • इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय आय में 11.4% की वृद्धि हुई।

2. द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-1961):

  • मुख्य फोकस: भारी उद्योग और सार्वजनिक क्षेत्र।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना में पंडित नेहरू के 'महलनोबिस मॉडल' को अपनाया गया, जिसमें औद्योगिकीकरण को प्रमुखता दी गई।
    • स्टील प्लांट्स, उर्वरक कारखाने और भारी इंजीनियरिंग उद्योगों की स्थापना की गई।
    • टाटा और बिरला जैसे निजी उद्योगपतियों की भागीदारी को भी बढ़ावा दिया गया।

3. तृतीय पंचवर्षीय योजना (1961-1966):

  • मुख्य फोकस: आत्मनिर्भरता और खाद्य सुरक्षा।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादन बढ़ाना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
    • इस दौरान भारत-चीन युद्ध (1962) और भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965) के कारण योजना सफल नहीं हो पाई।
    • सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने भी योजना को प्रभावित किया, जिसके कारण देश को खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ा।

4. चतुर्थ पंचवर्षीय योजना (1969-1974):

  • मुख्य फोकस: गरीबी उन्मूलन और आत्मनिर्भरता।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना का लक्ष्य 'गरीबी हटाओ' के नारे के तहत समाज के गरीब वर्गों की स्थिति सुधारना था।
    • इस योजना के दौरान हरित क्रांति की शुरुआत हुई, जिसने कृषि उत्पादन में वृद्धि की।
    • भारत ने इस अवधि में परमाणु परीक्षण भी किया, जिससे आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाए गए।

5. पंचम पंचवर्षीय योजना (1974-1979):

  • मुख्य फोकस: गरीबी उन्मूलन और रोजगार।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इसमें 'प्रणब मुखर्जी मॉडल' को अपनाया गया, जिसमें विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय पर भी जोर दिया गया।
    • इस योजना में विभिन्न रोजगार कार्यक्रमों की शुरुआत की गई, जैसे कि 20 सूत्रीय कार्यक्रम।
    • 1977 में इस योजना को आपातकाल के कारण बीच में ही समाप्त कर दिया गया।

6. छठी पंचवर्षीय योजना (1980-1985):

  • मुख्य फोकस: गरीबी उन्मूलन और तकनीकी विकास।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना का लक्ष्य तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना था।
    • बैंकिंग और बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया गया।
    • गरीबी उन्मूलन के लिए IRDP (Integrated Rural Development Programme) की शुरुआत हुई।

7. सातवीं पंचवर्षीय योजना (1985-1990):

  • मुख्य फोकस: सामाजिक न्याय और रोजगार।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना में समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान पर जोर दिया गया।
    • राजीव गांधी सरकार ने संचार और आईटी क्षेत्र में विकास की नींव रखी।
    • इस अवधि में औद्योगिकीकरण के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास कार्यक्रम चलाए गए।

8. आठवीं पंचवर्षीय योजना (1992-1997):

  • मुख्य फोकस: आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना में अर्थव्यवस्था को उदार बनाने और वैश्विक बाजारों के लिए खोलने पर जोर दिया गया।
    • नई आर्थिक नीति के तहत लाइसेंस राज की समाप्ति, निजीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला।
    • इस योजना के तहत आर्थिक विकास दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

9. नवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002):

  • मुख्य फोकस: समावेशी विकास और सामाजिक न्याय।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, और शिक्षा पर जोर दिया गया।
    • इस योजना में नारी सशक्तिकरण और बाल कल्याण कार्यक्रमों को भी प्राथमिकता दी गई।
    • योजना की अवधि में कोर सेक्टर के विकास पर भी ध्यान दिया गया।

10. दसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007):

  • मुख्य फोकस: विकास के साथ सामाजिक न्याय।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • योजना का उद्देश्य 8% की विकास दर हासिल करना और सामाजिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना था।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • इस अवधि में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) की शुरुआत हुई।

11. ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012):

  • मुख्य फोकस: समावेशी विकास।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना का उद्देश्य विकास के लाभों को समाज के सभी वर्गों तक पहुँचाना था।
    • योजना के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार में सुधार के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गए।
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर जोर दिया गया।

12. बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-2017):

  • मुख्य फोकस: त्वरित और समावेशी विकास।
  • प्रमुख कार्यक्रम:
    • इस योजना का उद्देश्य विकास दर को 8% पर बनाए रखना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना था।
    • योजना के तहत ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में सुधार के लिए प्रयास किए गए।
    • डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी गई।

पंचवर्षीय योजनाओं का समापन:

2017 के बाद, भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं को समाप्त कर दिया और नीति आयोग (NITI Aayog) की स्थापना की। नीति आयोग दीर्घकालिक नीतियों और कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे विकास की दिशा में अधिक लचीला और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण अपनाया जा सके।



योजना आयोग (Planning Commission) और नीति आयोग (NITI Aayog)

भारत में योजना आयोग (Planning Commission) एक महत्वपूर्ण संस्थान था, जिसकी स्थापना 15 मार्च 1950 को भारत सरकार द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के संसाधनों का अधिकतम उपयोग करके आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन करना था। योजना आयोग की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते थे, और इसके अन्य सदस्य विशेषज्ञ होते थे जो विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित थे।

योजना आयोग (Planning Commission) और नीति आयोग (NITI Aayog)


योजना आयोग के उद्देश्य और कार्य:

  1. राष्ट्रीय स्तर पर योजना निर्माण: योजना आयोग का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय विकास योजनाओं का निर्माण करना था, जिसमें पंचवर्षीय योजनाएँ प्रमुख थीं। ये योजनाएँ देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन करती थीं।
  2. संसाधनों का आवंटन: योजना आयोग विभिन्न क्षेत्रों और राज्यों को संसाधनों का आवंटन करता था ताकि योजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा सके। यह सुनिश्चित करना कि देश के सभी क्षेत्रों को समान रूप से लाभ मिले, आयोग का मुख्य उद्देश्य था।
  3. नीतियों का समन्वय: योजना आयोग केंद्र और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित करता था ताकि योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।
  4. विभिन्न क्षेत्रों के विकास की निगरानी: आयोग कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विकास की निगरानी करता था और आवश्यक सुधारों की सिफारिश करता था।

योजना आयोग की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • पंचवर्षीय योजनाएँ: योजना आयोग ने 12 पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन किया, जिसने भारत की आर्थिक संरचना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • हरित क्रांति: कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए योजना आयोग ने हरित क्रांति जैसी पहल को समर्थन दिया, जिससे देश की खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
  • उदारीकरण की दिशा: 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद योजना आयोग ने भारत की नई आर्थिक नीतियों को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

योजना आयोग का समाप्त होना और नीति आयोग की स्थापना:

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने योजना आयोग को समाप्त कर दिया और 1 जनवरी 2015 को नीति आयोग (NITI Aayog) की स्थापना की। नीति आयोग का उद्देश्य अधिक लचीला और सहभागी दृष्टिकोण अपनाना है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय हो सके।

योजना आयोग और नीति आयोग के बीच अंतर:

  • दृष्टिकोण: योजना आयोग का दृष्टिकोण केंद्रीयकृत था, जबकि नीति आयोग सहकारी संघवाद (cooperative federalism) पर आधारित है, जहाँ राज्यों की अधिक भूमिका है।
  • पंचवर्षीय योजनाएँ: योजना आयोग पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करता था, जबकि नीति आयोग दीर्घकालिक रणनीतियों और नीति अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • संसाधन आवंटन: योजना आयोग सीधे राज्यों को संसाधन आवंटित करता था, जबकि नीति आयोग एक परामर्शी निकाय है और आवंटन का कार्य वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

योजना आयोग ने स्वतंत्र भारत के आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और इसके द्वारा बनाई गई योजनाएँ और नीतियाँ आज भी देश के विकास में योगदान कर रही हैं।



नीचे दी गई तालिका में योजना आयोग (Planning Commission) और नीति आयोग (NITI Aayog) के बीच के मुख्य अंतर को दर्शाया गया है:

 

विशेषता

योजना आयोग (Planning Commission)

नीति आयोग (NITI Aayog)

स्थापना वर्ष

1950

2015

उद्देश्य

पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से केंद्रीयकृत योजना और विकास करना

सहकारी संघवाद के माध्यम से विकेन्द्रीकृत योजना और विकास करना

संरचना

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में, पूरे समय के सदस्य

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में, अंशकालिक सदस्य और विशेषज्ञ

राज्यों की भागीदारी

राज्यों के साथ सीमित परामर्श

राज्यों को नीति निर्माण में सक्रिय भागीदारी दी गई

वित्तीय शक्ति

राज्यों को निधि आवंटन करने की शक्ति

निधि आवंटन की शक्ति नहीं, केवल नीति सलाहकार संस्था

प्रमुख कार्य

पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन

नीति निर्माण, राज्यों को सलाह, दीर्घकालिक योजनाओं का निर्माण

लक्ष्य निर्धारण

केंद्रीयकृत योजना, जिसमें केंद्र द्वारा लक्ष्यों का निर्धारण

सहकारी संघवाद, जिसमें केंद्र और राज्य मिलकर लक्ष्य तय करते हैं

समीक्षा और मूल्यांकन

योजना के अंत में समीक्षा और मूल्यांकन

समय-समय पर योजनाओं की समीक्षा और मूल्यांकन

लचीलापन

कम लचीलापन, योजनाओं को बदलना मुश्किल

अधिक लचीलापन, आवश्यकतानुसार नीतियों और योजनाओं में बदलाव संभव

अधिकार और स्वतंत्रता

केंद्र सरकार के अधीन और अधिक नियंत्रित

स्वतंत्र थिंक टैंक के रूप में कार्यरत, विशेषज्ञों की भागीदारी

इस तालिका के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि योजना आयोग अधिक केंद्रीकृत और नियंत्रण-आधारित संस्था थी, जबकि नीति आयोग एक विकेन्द्रीकृत और सहकारी संघवाद पर आधारित संस्था है, जो राज्यों को अधिक स्वतंत्रता और भागीदारी प्रदान करती है।


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