अर्थव्यवस्था का परिचय (Introduction of Economics)
अर्थव्यवस्था, अर्थशास्त्र का व्यावहारिक रूप है। अर्थव्यवस्था के अध्ययन को जब व्यावहारिक रूप से उपयोग में लाया जाता है, तब उसे अर्थव्यवस्था कहते हैं। अर्थव्यवस्था एक क्षेत्र है जहां आर्थिक वस्तुओं एवं सेवाओं के माध्यम से आर्थिक गतिविधियों का निष्पादन किया जाता है। जब हम किसी देश को उसके समस्त आर्थिक क्रियाओ के संदर्भ में परिभाषित करते हैं, तो उसे अर्थव्यवस्था कहते हैं। अर्थव्यवस्था वास्तव में उत्पादन, वितरण एवं बचत की एक सामाजिक व्यवस्था है। यह किसी देश की आर्थिक गतिविधियों का विवरण होता है।
अर्थव्यवस्था के प्रकार
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन के साधनों पर बाजार (निजी) का नियंत्रण होता है। मूल्य का निर्धारण, बाजार के आधार पर मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जिसे बाजार मूल्य प्रणाली भी कहा जाता है।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र का प्रभुत्व होता है। सरकारी हस्तक्षेप समिति एवं प्रतिस्पर्धा की नीति को अमल में लाया जाता है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में विशेषज्ञीकरण दिखता है। सरकार नियामक के रूप में केवल नियम बना सकती है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था
समाजवादी अर्थव्यवस्था में आर्थिक संसाधनों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होता है। यहां पर मूल्य के निर्धारण में सरकार का हस्तक्षेप होता है तथा सरकार ही मांग व आपूर्ति को नियंत्रित करती है, इस तरह की प्रणाली को प्रशासनिक मूल्य प्रणाली भी कहा जाता है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से सार्वजानिक क्षेत्र का प्रभुत्व होता है तथा नगण्य प्रतिस्पर्धा की नीति को अपनाया जाता है। समाजवाद में एकाधिकार के दर्शन होते हैं। सरकार ही तीनों भूमिका नियामक, उत्पादनकर्ता एवं आपूर्तिकर्ता के रूप में होती है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था
मिश्रित अर्थव्यवस्था पूंजीवादी एवं समाजवादी का मिश्रण होता है। यहां कुछ आर्थिक क्रियाओ पर बाजार एवं कुछ सरकार का नियंत्रण होता है। मूल्य निर्धारण बाजार एवं सरकार दोनों द्वारा ही किया जाता है। सरकार नियामक के रूप में कार्य करती है। वर्तमान समय में भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था लागू है। यह अर्थव्यवस्था कम विक्सित और विकासशील देशो में प्रचलित है।
बंद अर्थव्यवस्था
बंद अर्थव्यवस्था, जिसमें आयात एवं निर्यात नहीं होता है। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है, जब कोई देश अपने में ही इतना सक्षम हो कि उसे न कोई निर्यात करना पड़े न ही आयात करना पड़े।
खुली अर्थव्यवस्था
खुली अर्थव्यवस्था में समुचित रूप से आयात व निर्यात होता है। 1919 के बाद के समाजवादी अर्थव्यवस्था का पतन हुआ और खुली अर्थव्यवस्था ही एकमात्र विकल्प बचा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि खुले अर्थव्यवस्था एक बेहतर विकल्प है जिसमें एक ओर उपभोक्ता को बेहतर विकल्प मिलते हैं और दूसरी ओर पिछड़े देशों को तकनीकी ज्ञान प्राप्त होता है। लेकिन खुली अर्थव्यवस्था भी खतरों से मुक्त नहीं है क्योकि इसमें कमजोर देश के बाजार पर विकसित देशों का कब्जा हो जाने का भय बना रहता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख लक्षण
- भारतीय अर्थव्यवस्था एक अल्प विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्था है
- भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है
- भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था है
- भारतीय अर्थव्यवस्था अल्प विकसित अर्थव्यवस्था है
- भारतीय अर्थव्यवस्था विकासशील अर्थव्यवस्था है
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र
प्राथमिक क्षेत्र
प्राथमिक क्षेत्र वह क्षेत्र हैं जहां प्राकृतिक संसाधनों को कच्चे माल के तौर पर प्राप्त किया जाता है। प्राथमिक क्षेत्र में नैसर्गिक उत्पादन होता है तथा ऐसी वस्तुओं को प्राथमिक वस्तुएं कहते हैं। उदाहरण के लिए कृषि उत्पादन, वानिकी, मत्स्य उद्योग आदि।
द्वितीय क्षेत्र
जहां प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को कच्चे माल की तरह उपयोग कर द्वितीयक वस्तु या पक्का माल तैयार किया जाता है। वह द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है। उदाहरण के लिए उद्योग,रेडीमेड कपड़ा, निर्माण, बिजली उत्पादन आदि।
तृतीय क्षेत्र
इसे सेवा क्षेत्र भी कहा जाता है। यहा वस्तु नहीं बल्कि सेवा का उत्पादन होता है। इसे "बंद कमरे की गतिविधियों" के नाम से जाना जाता है। जैसे संचार क्षेत्र, परिवहन, बीमा, बैंकिंग, शिक्षा आदि।
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