भारतीय संविधान राज्य के विधान मंडल (Indian Constitution: State Legislative)

राज्य के विधान मंडल 

संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 168 से 212 तक विधानमंडल के संगठन, गठन, कार्यकाल, शक्तियों आदि का वर्णन है। 

Indian Constitution: State Legislative


किसी राज्य के विधान मंडल में एक सदन या दो सदन हो सकते हैं। वर्तमान में छह राज्यों में भी द्विसदनात्मक विधानमंडल है-उत्तर प्रदेश,बिहार,महाराष्ट्र,कर्नाटक,आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना। 

उच्च सदन विधान परिषद एवं निम्न सदन विधानसभा कहलाता है। विधान परिषद एक स्थाई निकाय है, जिसे भंग नहीं किया जा सकता परंतु इसके एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष के बाद सेवानिवृत हो जाते हैं। विधान परिषद के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। विधान परिषद के सदस्यों का निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा होता है। 

अनुच्छेद 171 के अनुसार, विधान परिषद के सदस्यों की संख्या उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की संख्या के एक तिहाई से अधिक और 40 से काम नहीं हो सकती। 

विधान परिषद के कुल सदस्यों में से

  • 1/3 सदस्य स्थाई निकाय जैसे नगर पालिका जिला बोर्ड आदि के द्वारा चुने जाते हैं। 
  • 1/12 सदस्य राज्य के स्नातक मतदाताओं द्वारा निर्वाचित होते हैं जिनको कम से कम 3 वर्ष पहले डिग्री मिल चुकी हो। 
  • 1/12 सदस्यों का निर्वाचन 3 वर्ष से अध्यापन कर रहे अध्यापक करते हैं लेकिन यह अध्यापक माध्यमिक स्कूलों से काम के नहीं होने चाहिए। 
  • 1/3 भाग विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते हैं। 
  • शेष 1/6 राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते हैं जिन्हें विज्ञान, कला, साहित्य, सहकारिता आंदोलन अथवा सामाजिक सेवा का व्यावहारिक अनुभव हो। 

विधान परिषद का सदस्य बनने हेतु कम से कम 30 वर्ष की आयु प्राप्त करना आवश्यक है। 

सभापति उपसभापति को संबोधित कर एवं उपसभापति सभापति को संबोधित कर अपना त्यागपत्र दे सकता है। 

राज्य विधान मंडल का निम्न सदन विधानसभा कहलाता है। 

विधानसभा सदस्य के लिए आयु सीमा 25 वर्ष निर्धारित की गई है। 

राज्यपाल द्वारा एवं राष्ट्रपति शासन लागू होने के दौरान इस 5 वर्ष से पूर्व भी विघटित किया जा सकता है। 

विधानसभा के कार्रवाई के लिए कुल सदस्य संख्या का काम से कम 10% सदस्यों का होना अनिवार्य है। 

विधानसभा की बैठक के 1 वर्ष में काम से कम दो बार अवश्य होनी चाहिए एवं इन बैठकों के मध्य का अंतराल 6 माह से अधिक नहीं होना चाहिए। 

विधानसभा का सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम 60 हो सकती है। अपवाद - गोवा 40 ,मिजोरम 40 ,पुडुचेरी 30 ,सिक्किम 32

राज्य विधानसभा की अवधि 5 वर्ष होती है परंतु राज्यपाल इसे मध्य में भी विघटित कर सकता है। 

यदि कोई सदस्य सदन के अधिवेशन से 60 दिनो तक अनुपस्थित रहता है तो उसकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है। (अनुच्छेद 190 (4))

विधानसभा अपने सदस्यों में से अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव करती है। 

अनुच्छेद 178 अध्यक्ष उपाध्यक्ष को एवं उपाध्यक्ष अध्यक्ष को संबोधित करके अपना त्यागपत्र दे सकता है। (अनुच्छेद 179)

सदन के कुल सदस्य संख्या के दसवें भाग या कम से कम 10 सदस्यों की उपस्थिति गणपूर्ति के लिए पर्याप्त है। (अनुच्छेद 189)

धन विधयेक केवल विधानसभा में पेश किया जा सकता है। (अनुच्छेद 198 ) धन विधेयक प्रस्तुत करने के लिए राज्यपाल की स्वीकृति अनिवार्य है। 



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