ऑल-इंडिया जुडिशियल सर्विस (AIJS) का प्रस्ताव और बहस
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रस्तावित ऑल-इंडिया जुडिशियल सर्विस (AIJS) के निर्माण ने भारत में न्यायिक सुधारों पर बहस को फिर से जीवंत कर दिया है।
All-India Judicial Service (AIJS) in hindi
AIJS के उद्देश्य और लाभ
AIJS का लक्ष्य विविध पृष्ठभूमि से युवा और प्रतिभाशाली व्यक्तियों को जिला स्तर पर न्यायाधीश बनने के लिए भर्ती करना है, जिससे न्यायपालिका की गुणवत्ता और विविधता में सुधार हो सके।
1. रिक्तियों का प्रबंधन
- एक केंद्रीकृत उम्मीदवार पूल बनाकर जिला न्यायिक पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है।
- इससे राज्य की अदालतों में वर्षों से बनी रिक्तियों की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।
2. भ्रष्टाचार में कमी
- मौजूदा प्रणाली में निचले स्तर के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राजनीतिक प्रभाव और पक्षपात का आरोप लगता है।
- AIJS एक पारदर्शी और मेरिट-आधारित प्रक्रिया का वादा करता है, जो इन कमियों को दूर कर सकता है।
3. न्यायिक विविधता
- राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक पूल से भर्ती करके, यह विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और क्षेत्रीय पृष्ठभूमि का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कर सकता है।
AIJS के खिलाफ तर्क
1. न्यायिक स्वतंत्रता पर खतरा
- अगर कार्यपालिका नियुक्ति, पोस्टिंग और स्थानांतरण में प्रभावी हो जाती है, तो यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकती है।
- इससे न्यायिक निर्णयों की निष्पक्षता और जनता का विश्वास प्रभावित हो सकता है।
2. प्रशासनिक जटिलता
- केंद्रीकृत भर्ती प्रणाली में कोटा, कार्यकाल नीति, और वेतन समानता जैसे मुद्दों को प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण होगा।
- यह राज्यों और केंद्र के बीच संघर्ष का कारण बन सकता है।
3. भिन्न कानूनी प्रणालियों का प्रभाव
- विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कानून और कानूनी शिक्षा प्रणाली होने के कारण, स्थानांतरित न्यायाधीश स्थानीय कानूनों को समझने और लागू करने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं।
4. स्थानीय भाषा की अनदेखी
- केंद्रीकृत भर्ती प्रक्रिया में स्थानीय भाषाओं में दक्षता का महत्व कम हो सकता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय प्रदान करने में आवश्यक है।
5. क्षेत्रीय असमानता
- केंद्रीकृत परीक्षाएं महानगरों जैसे क्षेत्रों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे सकती हैं, जहां कोचिंग और तैयारी की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं।
- इससे ग्रामीण और छोटे शहरों के उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है।
AIJS के लिए संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 312
- AIJS के निर्माण के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी।
- अनुच्छेद 312 के अनुसार, राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास करना और संसद में कानून बनाना आवश्यक होगा।
निष्कर्ष
ऑल-इंडिया जुडिशियल सर्विस (AIJS) न्यायिक रिक्तियों को भरने और विविधता बढ़ाने की क्षमता रखता है। लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए इसे इस तरह से डिजाइन करना होगा कि क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, स्थानीय कानूनी विशेषज्ञता और प्रतिभाओं को आकर्षित करने में कोई कमी न हो। यदि यह सावधानीपूर्वक लागू किया जाए, तो यह न्यायपालिका की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।