AI का लोकतंत्रीकरण: एक नई दृष्टि की आवश्यकता
बिग टेक के बढ़ते प्रभुत्व ने वैश्विक नीति-निर्माताओं को चिंता में डाल दिया है। भारत जैसे देश, संप्रभु क्लाउड संरचना, ओपन डेटा प्लेटफॉर्म और स्थानीय स्टार्टअप को समर्थन देकर AI को लोकतांत्रिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह प्रयास बिग टेक की पकड़ को कमजोर करने के बजाय उसे और मजबूत कर सकते हैं।
Democratizing AI in hindi
बिग टेक के प्रभुत्व की चुनौतियां
- गहन शिक्षण (Deep Learning) की उच्च लागत
- उन्नत AI मॉडल जैसे जेमिनी अल्ट्रा (2023) को प्रशिक्षित करने में $200 मिलियन खर्च होते हैं, जो छोटे खिलाड़ियों के लिए असंभव है।
- बड़े मॉडल का प्रचार बिग टेक की स्थिति को मजबूत करता है।
- डेटा पर एकाधिकार
- बिग टेक कंपनियां विभिन्न डोमेन और भौगोलिक क्षेत्रों से डेटा का निरंतर प्रवाह प्राप्त करती हैं।
- सार्वजनिक डेटा पहल अक्सर प्रभावी नहीं होती और बेहतर संसाधन वाले खिलाड़ी इनका अधिक लाभ उठाते हैं।
- शैक्षणिक योगदान में गिरावट
- उद्योग अब AI अनुसंधान और प्रकाशनों में हावी है, जिससे अकादमिक और सार्वजनिक हित प्रभावित हो रहे हैं।
- सस्ती और प्रभावी ढांचा बनाने की कमी
- बिग टेक के व्यापक डेवलपर टूल और सेवाओं का मुकाबला करने के लिए वैकल्पिक बुनियादी ढांचे को प्रतिस्पर्धी बनाना चुनौतीपूर्ण है।
समाधान: एक प्रगतिशील दृष्टिकोण
‘छोटा AI’ का समर्थन
- बड़े मॉडलों की बजाय छोटे, उद्देश्य-निर्देशित AI समाधानों पर ध्यान देना।
- सार्वजनिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और सामुदायिक-आधारित नवाचार को प्राथमिकता।
थ्योरी-आधारित AI विकास
- AI विकास को डाटा पैटर्न पर आधारित करने के बजाय सिद्धांत और हाइपोथीसिस से संचालित करना।
- डेटा संग्रह को लक्षित करना और स्थानीय ज्ञान व अनुभव का उपयोग करना।
डिजिटल सार्वजनिक ढांचे में निवेश
- सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण जो सभी के लिए सुलभ हो।
- बिग टेक पर निर्भरता कम करने के लिए ओपन-सोर्स समाधान विकसित करना।
वैश्विक दृष्टिकोण में बदलाव
- वर्तमान ‘बड़ा डेटा और बड़ा मॉडल’ दृष्टिकोण को चुनौती देना।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने के लिए AI का स्थानीय और उद्देश्यपूर्ण उपयोग करना।
निष्कर्ष
बिग टेक के वर्चस्व को समाप्त करने के लिए AI विकास की दिशा में मौलिक बदलाव की आवश्यकता है। भारत जैसे देशों को AI का लोकतंत्रीकरण सुनिश्चित करने के लिए ‘छोटे AI’ को बढ़ावा देना, सार्वजनिक संसाधनों में निवेश करना, और नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से संरचनात्मक सुधार लाना होगा।