पश्चिम एशिया में संघर्ष: गाजा युद्ध का भारत पर प्रभाव
पश्चिम एशिया भारत के लिए आर्थिक और रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। गाजा में चल रहे युद्ध और इसके विस्तार से भारत के हितों पर कई प्रकार के प्रभाव हो सकते हैं:
Impact of Gaza War on India in hindi
1. ऊर्जा सुरक्षा और बढ़ती कीमतें
भारत अपनी कुल कच्चे तेल की खपत का 60% से अधिक आयात खाड़ी देशों से करता है।
- तनाव का खतरा: ईरान के साथ बढ़ते तनाव या तेल आपूर्ति में बाधा से ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
- आर्थिक दबाव: तेल की कीमतों में वृद्धि से घरेलू मुद्रास्फीति बढ़ेगी, बजट पर दबाव बढ़ेगा और वित्तीय योजनाएं प्रभावित होंगी।
2. व्यापार और निवेश में रुकावटें
वर्ष 2022-23 में भारत और खाड़ी देशों (GCC) के बीच द्विपक्षीय व्यापार $154 बिलियन से अधिक रहा।
- आपूर्ति श्रृंखला में जोखिम: लाल सागर जैसे समुद्री व्यापार मार्गों में बाधा से व्यापार धीमा हो सकता है।
- IMEC में देरी: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) की प्रगति बाधित हो सकती है, जिससे व्यापार में विविधता और कनेक्टिविटी के लाभ प्रभावित होंगे।
3. प्रेषण और प्रवासी भारतीयों की चिंता
- प्रवासी भारतीयों पर असर: खाड़ी देशों में 80 लाख से अधिक भारतीय काम करते हैं, जो हर साल $89 बिलियन से अधिक प्रेषण भेजते हैं। बढ़ता तनाव उनकी आजीविका के लिए खतरा बन सकता है।
- रोजगार का संकट: राजनीतिक अस्थिरता से नौकरी छूटने और प्रेषण में गिरावट का खतरा है।
4. कूटनीतिक चुनौतियां
- संतुलन बनाए रखना: भारत इज़राइल, खाड़ी देशों और ईरान के साथ मजबूत संबंध रखता है। यदि संघर्ष गहराता है, तो भारत की तटस्थता बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
- अरब-इज़राइल सामान्यीकरण पर असर: अब्राहम समझौते और I2U2 जैसे आर्थिक सहयोग के प्रयास धीमे पड़ सकते हैं, जिससे भारत की रणनीतिक साझेदारियां प्रभावित होंगी।
5. कनेक्टिविटी और रणनीतिक परियोजनाएं
- चाबहार पोर्ट और INSTC: ईरान-इज़राइल तनाव बढ़ने पर ईरान भारत के लिए ट्रांज़िट हब के रूप में कमज़ोर हो सकता है।
- निवेश में देरी: राजनीतिक अनिश्चितता से भारत की बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी परियोजनाओं में बाधा आ सकती है।
भारत के लिए रणनीति
भारत को इन चुनौतियों से निपटने के लिए निम्न कदम उठाने होंगे:
- ऊर्जा आयात के लिए खाड़ी क्षेत्र पर निर्भरता कम करने के प्रयास।
- क्षेत्रीय पक्षों के साथ कूटनीतिक संबंध मजबूत बनाए रखना।
- वैकल्पिक व्यापार मार्गों (जैसे INSTC) का विकास तेज़ी से करना।
- प्रवासी भारतीयों और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए आपात योजनाएं तैयार करना।
स्थिति जटिल और अस्थिर बनी हुई है। भारत को अपने दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के साथ-साथ तत्काल आवश्यकताओं का संतुलन बनाए रखना होगा।