Need for Food Labeling in India in hindi

क्या पैकेज्ड फूड पर लेबलिंग जरूरी है?

हाँ, पैकेज्ड फूड की सामग्री पर स्पष्ट लेबलिंग अनिवार्य होनी चाहिए ताकि उपभोक्ता स्वस्थ विकल्प चुन सकें और बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सके। एसेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव (ATNi) की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि भारत जैसे देशों में गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे मधुमेह और मोटापे की समस्या बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण खराब आहार की आदतें हैं।

The Need for Food Labeling in India in hindi

The Need for Food Labeling in India in hindi


पैकेज्ड फूड पर लेबलिंग क्यों जरूरी है?

1. स्वास्थ्य जोखिमों का समाधान

  • भारत में बढ़ते NCDs: देश में 10.13 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं, और 24% महिलाएं व 23% पुरुष मोटापे का शिकार हैं।
  • अनहेल्दी डाइट्स: खराब आहार से जुड़े रोग भारत के कुल रोग भार का 56.4% हिस्सा हैं, जो अधिक शुगर, सोडियम और वसा वाले प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बढ़ते उपभोग से बढ़ रहे हैं।

2. ATNi रिपोर्ट की प्रमुख बातें

  • LMICs में कम स्वस्थ उत्पाद: निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में बेचे जाने वाले उत्पादों का औसत स्वास्थ्य स्कोर सिर्फ 1.8 स्टार है, जबकि उच्च आय वाले देशों (HICs) में यह 2.3 स्टार है।
  • फॉर्मूलेशन में असमानता: नेस्ले जैसी कंपनियां LMICs में उच्च शुगर और वसा वाली सामग्री के उत्पाद बेचती हैं, जो HICs में बेचे जाने वाले उत्पादों की तुलना में अधिक हानिकारक हैं।

3. उपभोक्ता जागरूकता

  • स्पष्ट और पारदर्शी लेबलिंग उपभोक्ताओं को पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की पोषण सामग्री को समझने में मदद करती है।
  • वैश्विक उदाहरण: चिली और मेक्सिको जैसे देशों ने फ्रंट-ऑफ-पैक (FOP) चेतावनी लेबल का उपयोग करके मीठे पेय पदार्थों के उपभोग को सफलतापूर्वक कम किया है।

भारत में चुनौतियां

  1. विनियमन की कमी:

    • भारत में अभी तक फ्रंट-ऑफ-पैकेज (FOP) लेबलिंग अनिवार्य नहीं है, जबकि सरकार ने वैश्विक स्वास्थ्य संकल्पों जैसे वर्ल्ड हेल्थ असेंबली (WHA) का समर्थन किया है।
  2. आर्थिक समस्याएं:

    • 50% भारतीय स्वस्थ आहार नहीं खरीद सकते (UN के अनुसार), जिससे वे सस्ते और अस्वास्थ्यकर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर निर्भर हो जाते हैं।
  3. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी:

    • NCDs के साथ-साथ भारत में कुपोषण, एनीमिया और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भी बड़ी समस्याएं हैं, जो विविध और पोषक आहार तक सीमित पहुंच के कारण बढ़ रही हैं।

आगे का रास्ता

1. फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबलिंग अनिवार्य करें

  • शुगर, वसा और सोडियम की मात्रा को स्पष्ट और सरल भाषा में दिखाया जाए।
  • स्टार रेटिंग सिस्टम: उत्पाद की स्वास्थ्य दर को प्रदर्शित करने के लिए एक सरल प्रणाली।
  • चेतावनी लेबल: शोध के अनुसार, चेतावनी लेबल उपभोक्ताओं को अस्वास्थ्यकर उत्पादों से दूर रखने में स्टार रेटिंग से अधिक प्रभावी हैं।

2. सख्त नियम लागू करें

  • खाद्य और पेय उत्पादों के लिए गुणवत्ता मानकों को सख्त किया जाए।
  • कम आय वर्ग के लिए स्वस्थ उत्पादों को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने की रणनीति बनाई जाए।

3. सार्वजनिक जागरूकता अभियान

  • उपभोक्ताओं को प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के खतरों और लेबल पढ़ने के महत्व के बारे में शिक्षित करें।
  • स्वस्थ आहार को बढ़ावा दें, जिसमें ताजे और कम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ शामिल हों।

4. वैश्विक सफलता से सीखें

  • चिली और मेक्सिको जैसे देशों की नीतियों को अपनाएं, जिन्होंने प्रभावी लेबलिंग के माध्यम से मीठे पेय पदार्थों का उपभोग कम किया।

निष्कर्ष

पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर स्पष्ट और अनिवार्य लेबलिंग गैर-संचारी रोगों की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए आवश्यक है। यह उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने का अधिकार देगा और खाद्य निर्माताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। यदि सख्त नियम लागू नहीं किए गए, तो आहार संबंधी स्वास्थ्य चुनौतियां बढ़ती रहेंगी, जो स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ डालेंगी और लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करेंगी।

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